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________________ ® धर्म प्राप्ति [४४६ घर आते समय, पायली बनाते समय, जब-जब भी उससे पूछा गया, उसने यही उत्तर दिया कि पायली बना रहा हूँ। जब यह उत्तर सुना कि 'पायली बनाई' तब तक व्यवहारनय वाला चुप रहा । उस समय संग्रह नय वाला बोला-जब अनाज का संग्रह करो तव पायली कहना। यों पायली नहीं कहलाती। ऋजुसूत्र नय वाला बोलाधान्य का संग्रह करने मात्र से भी पायली नहीं कही जा सकती। जब पायली से धान्य को नापा जायगा तब पायली कहलाएगी। शब्दनय बाला कहता है-धान्य नापते समय एक, दो, तीन आदि जब बोलोगे तब पायली कहलाएगी। समभिरूढ़नय वाले ने कहा-एक दो-तीन आदि बोलने से भी पायली नहीं कहलाएगी, किसी कार्य से नाप करोगे तब पायली कहना । एवंभूत वाला बोला—किसी कार्य से नाप करने मात्र से भी पायली नहीं कही जा सकती, किन्तु पायली से नापते समय नापने वाले का उपयोग जब नापने में प्रवृत्त होगा तब ही पायली कही जाएगी। ___ यह दृष्टांत भी मुख्य रूप से यह बतलाने के लिए है कि सातों नयों दृष्टिकोण उत्तरोत्तर सूक्ष्म से सूक्ष्मतर होता है । यह पहले कहा जा चुका है कि वस्तु में अनन्त धर्म हैं और उनमें से एक-एक नय एक-एक धर्म को ग्रहण करता है। अतएव इन सातों नयों से वस्तु को मानने वाला ही सम्यग्दृष्टि कहलाता है। जो दूसरे नयों का निषेध करके सिर्फ एक ही नय को स्वीकार करता है, वह वस्तु के समस्त धर्मों का निषेध करके एक ही धर्म को अंगीकार करता है। अतएव वह एकान्तवादी है, मिथ्यादृष्टि है। क्योंकि एक नय सम्पूर्ण वस्तुस्वरूप को ग्रहण नहीं कर सकता और एक नय से व्यवहार भी नहीं चल सकता। उदाहरण के लिए-कोई पूछे कि अनाज किससे उत्पन्न होता है ? तब एक ने उत्तर दिया-पानी से । दूसरे ने कहा-भूमि से । तीसरा बोला-हल से । चौथा कहता है बादल से । पाँचवाँ बोला-बीज से। छठे ने कहाऋतु से। सातवें ने कहा-भाग्य से । अब सोचना चाहिए कि इन सात उत्तरों में से कौन-सा उत्तर सही है और कौन-सा गलत ? वास्तव में यदि
SR No.010014
Book TitleJain Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherAmol Jain Gyanalaya
Publication Year1954
Total Pages887
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size96 MB
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