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इस प्रकार आठ सम्पदा के ३२ भेद और ४ विनय मिलाकर आचार्य के कुल ३६ गुण हैं । ऐसे ज्ञानप्रधान, दर्शनप्रधान, चारित्रप्रधान, तपप्रधान, शूर, वीर, धीर, साहसिक, शम-दम-उपशमवान्, चारों तीर्थों के श्रद्धास्पद, जिनेश्वर देव के पाट के अधिकारी, जैनशासन के निर्वाहक और प्रवर्त्तक, ऐसे अनेकानेक गुण- गण के धारक श्राचार्य महाराज को मेरा त्रिविधत्रिविध वन्दन - नमस्कार हो !
* आचार्य