SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 109
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 5 ८०० योजन के प्रथम प्रतर के जाति के व्यन्तर देवों का यंत्र म व्यन्तर देवों दक्षिण दिशा के के नाम इन्द्र के नाम १ पिशाच २ भूत ३ यक्ष उत्तर दिशा के के नाम इन्द्र कालेन्द्र महाकालेन्द्र सुरूपेन्द्र प्रतिरूपेन्द्र पूर्णभद्रेन्द्र मणिभद्रेन्द्र ४ राक्षस भीमेन्द्र महाभीमेन्द्र ५ किन्नर किन्नरेन्द्र किंपुरुषेन्द्र ६ किंपुरुष सुपुरुषेन्द्र महापुरुषेन्द्र ७ महोरग अतिकायेन्द्र महाकायेन्द्र गंधर्व गीतरतीन्द्र मीतरसेन्द्र ८० योजन की दूसरी प्रतर के म जाति के वाण व्यन्तर देवों का यंत्र पवारण व्यन्तर देव के नाम दक्षिण दिशा के उत्तर दिशा के इन्द्र के नाम इन्द्र के नाम ६ श्रनपन्नी १० पानपन्नी ११ ईसीवाई १२ भूइवाई १३ कंदीये सुवच्छेन्द्र १४ महाकंदिये | हास्येन्द्र १५ कोहंड श्वेतेन्द्र १६ पर्यंगदेव पहेगेन्द्र सन्निहितेन्द्र धातेन्द्र ईसीन्द्र ईश्वरेन्द्र सन्मानेन्द्र विधातेन्द्र इसीपतेन्द्र दोनों प्रतरों के देव के शरीर का वर्ण मुकुट का चिह्न शरीर का वर्ण मुकुट का चिह्न कृष्ण कृष्ण कृष्ण महेश्वरेन्द्र श्वेत विशालेन्द्र हरा हास्य रतीन्द्र श्वेत मेहश्वेतेन्द्र कृष्ण पहंगपतेन्द्र कृष्ण ** ! | कदंब वृक्ष शालि वृक्ष बड़ वृक्ष पाडुली वृक्ष अशोक वृक्ष चंपक वृक्ष जाग वृक्ष टिम्बरू वृक्ष सिद्ध भगवान् [ ७३
SR No.010014
Book TitleJain Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherAmol Jain Gyanalaya
Publication Year1954
Total Pages887
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size96 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy