SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 106
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ७० ] जैन-तत्त्व प्रकाश संख्यात योजन के भवन में संख्यात देव-देवियों का और असंख्यात योजन के भवन में असंख्यात देव-देवियों का निवास है। यह देव कुमारों की तरह क्रीड़ा करने वाले हैं इस कारण इन्हें कुमार कहते हैं। भवनपति देवों की विभिन्न जातियों के शरीर का वर्ण अलग-अलग प्रकार का होता है । वस्त्र भी उन्हें विभिन्न वर्ण का पसंद आता है। उनकी जाति की पहिचान उनके मुकुट में बने हुए चिहनों से होती है । इन सब के स्पष्टी-करण के लिए नीचे एक तालिका दी जाती है। भवनपति देव की जाति शरीर का | वन का वर्ण | वर्णx मुकुट का | चिह्न कृष्ण चूडामणि नागफणि गरुड वज्र १ असुरकुमार २ नागकुमार ३ सुवर्णकुमार ४ विद्युत्कुमार ५ अग्निकुमार ६ द्वीपकुमार ७ उदधिकुमार ८ दिशाकुमार ६ वायुकुमार १० स्तनितकुमार नोट-xउक्त रंग के वस्त्र पहनने का शौक अधिक है । * यह चिह्न देवताओं के मुकट में होते हैं, इससे इनकी जाति की पहिचान होती है। मगर सरावला
SR No.010014
Book TitleJain Tattva Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmolakrushi Maharaj
PublisherAmol Jain Gyanalaya
Publication Year1954
Total Pages887
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size96 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy