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________________ ( ५२ ) भगवान गौतम बोले- भगवन् । सिद्ध कितने काल तक सोपचय - वृद्धि वाले होते है ? भगवान महावीर बोले- गौतम ! कम से कम एक समय तक और अधिक से अधिक आठ समय तक । मूल पाठ * सिद्धा ण भते । केवइय काल णिरुवचयणिरवचया ? गोयमा ! जहणेण एग समय, उक्कोसेण छम्मासा । हिन्दी- भावार्थ भगवान गौतम बोले- भगवन् । सिद्ध कितने काल तक निरुपचय - निरपचय है, एक साथ वृद्धि, हानि से रहित है । भगवान महावीर बोले- गौतम | कम से कम एक समय तक और अधिक से अधिक छह मास तक । अर्थात् इतने काल तक सिद्ध अवस्थित रहते है । * परमात्मा अनादि है * मूल पाठ + तेण कालेणं तेणं समएण समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तेवासी रोहे णामं अणगारे पगइ - भद्दए पगइ-मउए पगइ-विणीए पगइ - उवसंते पगइ - पयणुकोह - * सिद्धा भदन्त ! कियन्तं काल निरुपचयनिरपचया: ? गौतम ! जघन्येन एक समयमुत्कर्षेण षण्मासान् । + तस्मिन् काले तस्मिन् समये श्रमणस्य भगवतो महावीरस्य अन्ते
SR No.010013
Book TitleJain Agamo me Parmatmavada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAtmaram Jain Prakashan Samiti
Publication Year1960
Total Pages125
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size8 MB
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