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( ख )
आत्माराम जी महाराज द्वारा विनिर्मित "जैनागमों में परमात्मवाद, का प्रकाशन भी आप ही करवा रही है । आप की इस उदारता के लिए मै आप का धन्यवाद करता हू । और आशा करता हू कि भविष्य मे भी आप इसी भाति साहित्यिक सत्कार्यो मे अपने धन का सदुपयोग करती रहेगी ।
प्रार्थी
मन्त्री -
आचार्य श्री आत्माराम जैन प्रकाशनालय, जैनस्थानक, लुधियाना )