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तब श्री भगवान् उत्तर देते हैं कि.हे गौतम ! आगम प्रमाण द्विविधसे प्रतिपादन किया है जैसेकि लौकीक आगम १ कोको. तर आगम २॥ श्री गौतमजी पुनः पूछते है कि हे भगवन् लोकीक आगम कौनसे हैं ? भगवनि उत्तर देते हैं कि हे गौतम ! जसोक मिथ्यादृष्टि लोगोंने अज्ञानताके प्रयोगसे स्वछंदतासे कल्पना करलिये हैं भारत रामायण यावत् चतुर वेद सांगोपांग पूर्वक, यह सर्व लौकीक आगम है, क्योंकि इन आगमोंमें पदायौँका सत्य २ स्वरूप प्रतिपादन नही किया है अपितु परस्पर विरोधजन्य कथन है, इस लिये ही इनका नाम लौकीक मागम है ॥ __ मूल ॥ सेकित्तं लोगुतरिय आगमे २ जश्म अरिहंतेहिं नगवंतेहिं जावपणीय दुवालसंग तंजहा आयारो जावंदिठिवाओ सेनं लोगुत्तरिय आगमे॥
भाषार्थ:-(प्रश्नः) लोकोत्तर आगम कौनसे हैं ? (उत्तर) जो यह प्रत्यक्ष अरिहंत भगवंत कर करके प्रतिपादन किये गये हैं, द्वादशांग आगमरूप सूत्र समूह जैसेकि आचारांगसे