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- (१७४) ३ पगइ सोमो-सौम्य प्रकृति युक्त होना चाहिये अर्थात् शान्ति स्वभाव शूद्र जनोंके किये हुए उपद्रवोंको माध्यस्थताके साथ सहन करने चाहिये, और मस्तकोपरि किसी कालमें भी अशान्ति लक्षण न होने चाहिये ।
४ लोअपिओ-लोकप्रिय होना चाहिये अर्थात् परोपकारादि द्वारा लोगोंमें प्रिय हो जाता है। परोपकारी जीव उच्च कोटि गणन किया जाता है। परोपकारियोंके सब ही जीव हितैषी होते हैं और उसकी रक्षामें उद्यत रहते हैं। परोपकारी जीव सर्व प्रकारसे धर्मोन्नति करनेमें भी समर्थ हो जाते हैं और अपने नामको अमर कर देते हैं । इस लिये लोगमें प्रिय कार्य करनेवाला लोगप्रिय बन जाता है।
५ अक्रो-क्रूरतासे रहित होवे अर्थात् निर्दयतासे रहित होवे। निर्दयता सत्य धर्मको इस प्रकारसे उखाड़ डालती है जैसे तीक्ष्ण परशुद्वारा लोग वृक्षोंको उत्पाटन करते हैं। निर्दयी पुरुष कभी भी ऊच्च कक्षाओंके योग्य नहीं हो सकता । क्रूर चित्तवाला पुरुष सदैव काल क्षुद्र वृत्तियोंमे ही लगा रहता है ।।
६ असट्टो-अश्रद्धावाला न होवे-अर्थात् सम्यक् दर्शन युक्त ही जीव सम्यक् ज्ञानको धारण कर सक्ता है। अपितु इत.