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अणादिय अप्पड़ावसिय से वत्थेणं नंचे किं सादिए सपऊवसिय चउभंगो गो वत्थे सादिय सपङवसिय अवसेस्य तिण्डिविपमिसे'हियवा जहाणं ते वत्थे सादिय सपावलिय नो अणादिय अप्पा नो अणादिय सपनो अणादिय अप्पडा तहा जीवा किं सादिया सपज्जवसिया चोनंगो पुच्चा गोयमा अत्थे तादियाअचत्तारि विनापियवा से गो नेर यतिरिक्खजोणिय मणुस्स देवा गइरागई पडुच्च सादिया सपज्जवसीता सिद्धिगई पमुच्च सादिए अपजवसिया अवसिदीलहि पमुच्च अणादिया सपऊवलिया अजबसिद्धिया संसारं पशुच श्र.. पादिया अप्पडावसिया॥ नगवती सूत्र शतक ६ उदेश ३॥
भावार्थ:-श्री गौतम प्रभुजी श्री भगवानसे प्रश्न पूछते हैं :कि हे भगवन् ! जीवोंके साय काँका उपचय (सम्बन्ध ) क्या