________________
-६९] तिरुनिईकोण्डके लेस
११ यह लेख पीतलकी चोवीमतीर्थकरमूर्तिके पादपीठपर है। लिपि ९वीं सदीकी है। यह मूर्ति जिनवल्लभको स्वजन (पत्नी ) भागियवेद्वारा स्थापित की गयी थी। लिपिसे स्पष्ट होता है कि यह मूर्ति कर्नाटकमें निर्मित हुई थी।
[ए० रि० मै० १९४१ पृ० २५० ]
६६-६७ तिरुनिकोण्डै (मद्राम)
९वीं सदी, तमिल [इस लेखमें कहा है कि तिल्नरगोण्डके किलप्पल्लि (जैन मन्दिर) का चतुर्मुगतिरक्कोयिल् (चतुर्नुख वसति) तथा पूर्वका ममामण्डप चलक्कूडि निवामी विगयनल्लूलान् कुमरन् देवन्ने वनवाया था। लेखकी लिपि ९वीं मदीकी है। यहींके अन्य दो भागोमें इसी समयकी लिपिमें वाणकोवरैयर तथा आरुलगपेरुमानका उल्लेख है।]
[रि० सा० ए० १९३९-४० क्र० ३०६-७ पृ० ६६]
तिरुनिडंकोण्डै (मद्रास)
९वों सदी, तमिल [ इस लेखमें नारियप्पाडि निवासी शिंगणार परियवड्डगणार-द्वारा दो जैन पल्लियो ( मन्दिरो ) के लिए १० पोण ( मुद्राएँ ) दान दिये जानेका निर्देश है। यहीके एक अन्य लेखमे नारियप्पाडि निवासी पेरियनकनाके पुत्र ( नाम लुप्त ) द्वारा भी कुछ दान दिये जानेका उल्लेख है लिपि ९वी मदीकी है।]
[रि० सा० ए० १९३९-४० क्र० ३०८-९ पृ० ६० ]