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जैनशिलालेस-पग्रह
[२४१२ घनविनीवस्यात्मजे 'श्रीमतथिवीकोंगणिवृद्धराजे प्रणितानेक
राजस्य मकुटमणिमतीसरा पत्र १३ यूसपुजर्षिजरितांगुष्ट वरयुवविमनोनयनसुमगे रिपुनृपतिगजाश्व
स्पनरोरुवन१४ लोकसमदद्विरतनुरगारोहणोपभीममाननिरनिशयनिजशरीरश्री
वल्लभे सफल१. पाणाटपुचाटायनेकजनपढाधिपता मनोविनीतम्य श्राता निक
कुमार. श्रीमथियो१६ काँगणिवृद्धराज स्थिरविनीत भवनिमइन्द्रविण्यातः पाणाटपु.
नारायनेकजनपदाधिसीसरा पत्र (ब) १७ पति पृथिवी परिपालयति कोदुगुन्नाहा स्लिपुरा चेहिक ___कलघोल बटुवललु१० बरेठ वसदिगालमेरड कलनिउ तोहमुं मनेतानमु पृथिवीकोगणि
मुचरसरनुमतदो१९ ल पल्सवेलारमर् पोयार कोकन्दियु मयिलूरगडे मेल पाल
जादिगाल कोलिगकरंकालु भोन्दुवोहमुमा२. ह कनिड पृथियोकॉगणि मुत्तरसरनुमवढोल गजेनादर् कण्णमनू
पोयटार चन्द्र (भद्र ) मनाचाचौथा पत्र २१ यर कारराग भटके साक्षि केपिलपुसूर पशिर्वरु भयसामन्तरु
नाकमाणित इदा