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मधुराक लेख
खण्डगिरि (अनन्तगुहा)
प्राकृत-ग्राझी, सन्पूर्व पहला सदी दोहद समणन लेणं [दोहदके श्रमणोकी गुहा ]
[ए० ई० १३ पृ० १६४]
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खण्डगिरि (तत्त्वगुहा)
बाह्मी, पहली सी १ . ' . २ • ण त थ द ध न . ३ . 'ण त थ द ध न श प म " ४ · ण त थ द ध न प फ व श ष स ह ५ "त थ द ध न प फ व श ष स ह "
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[ यह वर्णमाला चित्रित की गयी है जो सम्भवत. किसी नवदीक्षित साधुका कार्य है।
[ए० इ० १३ पृ० १६५ ] १५ मथुरा ( उत्तर प्रदेश) प्राकृत-बाही, वर्ष ८४ (दूमरी सटी) . ओं सिद्ध स८०४ व ३ दि २० ५ एतस्मि पूर्वय दमित्रस्य
धितु ओस२ रिकाये कुटुबिणिये दताय दान वर्धमानप्रतिमा प्रतिथपिता