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-180] नल्लिकर आदिक लेस
३१७ ४६६ नेल्लिकर (द० कनहा, मैसूर)
शक १४४७=मन् १.०५, कन्नड [यह लेख म्यानीय अनन्तनाथबमदिक प्राकारमें है। देवण्णरस उपनाम कोतकी वह्न करदेवी-द्वारा कीयरवरको वसदिके लिए धनु १५, रविवार, गक १४४७, तारण नवत्सरकै दिन कुछ भूमिक उत्पन्न दानका इममें उल्लेख है।]
[रि० मा० ए० १९२८-२९ ० ५२२ पृ० ४९ ]
४६७ पलिच्छन्दल् (द० अर्काट, मद्राम)
मक १४.. पन् १५३०, तमिल [ यह लेख एक भन्न जैनमन्दिरके स्थानपर है जिसे थैनियम्मण कोयिल कहा जाता है। विजयनगरके गजा अच्चुतदेवमहारायने वैचप्प नायकके निवेदनपर शके नापनार् विजयनायकर् नामक जिनमूर्तिकी पृजाके लिए जोडि और गालुवरि करीका उत्पन्न अर्पण किया था। यह राजाना वेलूर बोम्मुनायक्के समय उत्कीर्ण की गयी ऐसा लेखमें कहा है। तिथि मिथुन शु० १०, बुधवार, अक १४५२, नन्दन सवत्सर ऐसी दी है।
[रि० मा० ए० १९३७-३८ क्र० ४४९ पृ० ५१]
४६८ पटना म्युजियम (बिहार) संवत् १५९३=मन् १५३१, सस्कृन-नागरी [यह लेख एक पीतलको जिनमूर्तिक पादपीठपर है । इसकी स्थापना मूलसंघ-कुन्दकुन्दाचार्यान्वयक मण्डलाचार्य धर्मचन्द्रके उपदेशमे खटेलवाल