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२९६ जैनशिलालेख-संग्रह
[010[यह लेख पार्श्वनाथमूतिके पादपीठपर है। इस मूतिकी स्थापना मूलसष-हनसोगे बलिके ललितकीति भट्टारकने की थी। लिपि १४वीं सदी की है।
[एरि० म० १९३४ पृ० १६९]
तगडूर ( मैसूर)
१४वीं सदी, कन्नड (कोंडकुन्दान्वय २ (मूकसंध नागनन्टि ३ (अन)न्वमधारकशिष्य नन्दिमटारकरशि५ यस्तगडू
६ • पिल्लेकन्तिय(२) ७ (स)न्यसनगेटु सुर
(लोकक्के) सन्दर् [ इस निसिधिलेखमें मूलसघ-कोण्डकुन्दान्वयके नागनन्दि भट्टारकके शिष्य नन्दिभट्टारककी शिष्या · यिल्लेकन्तिके समाधिमरणका उल्लेख है। पापाण टूटा होनेसे कुछ अक्षर नष्ट हुए है । लिपि १४वी सदीकी है। ]
[एरि० मै० १९३८ पृ० १७३ ]
चामराजनगर (म)
१५वीं सदी, कलद १ श्रीमूल सगढ का- २ शूरगण मन३ वकीर्तिदेवर गुड
५ बोप्पय सन्य५ सनविधिषि
६ (स्वोर्गस्त [ इस लेख में मूलसघ-काणर गणके अनन्तकौतिदेवके शिष्य चोप्पयके समाधिमरणका उल्लेख है । लिपि १४वी सदीको है।
[ए. रि० मैं० १९३१ पृ० ११२]