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२५६ जैनशिलालेख-सप्रद
[100-- २७ आ सोमवेयनु आ हुलिगेरेय माणिकमेटिंग विवाहमाही ।
भवर मगलु नागचे २० आकेय तनं माणिकसष्टि ममस्नरूमा यचिहि हुलिगरंगन्द्रि
इन्द्रिगुलढलि प्र२९ ""मा नागव्यंयनू मलहि हिरिय इन्दिगुलद चन्द्रनाथ
स्वामिगल चैत्यालयढोलु पूजे ३० श्रादिक श्रीकार्य नडवन्तागि वृत्तियन बिटु शासनव हाकिमिहरु
आबचरसियु तम्३. म मामे नागवेयन् गेरसोप्यय मेहि गुप्ततायि भाजेय मग
माणिकसेहियन तानु विवा३२ हव माडि भा माणिकमेटियनन्वयमन्तेन्टोडे गुच्छविक्रय
नागिसंष्ट्रिय मगलु रामन्चे बाकेय पु३३ प्रमाणिकमहि माणिकमेहिगू नागवेयवरिगू जनिमिट मालु
हरिसहि कामण३. नेमण्णमेहि सरणमेष्टि मगप यिन्तैवरोलगे रामक्कनन गरसोप्पंय
रामण हेग्गठेय मगराज३५ णन मोजणगे विवाहब माटि मा बोजण्णसेष्टियू रामान
सुखसकयाविनोटर्मि३६ दिहल्लिगे गेरसोप्पय अनन्ततीर्थकरचस्यालवनारधिसि महा
प्रतिऐयन मारिसि ३७ मिरुतं बिरलु सक वरुस सासिरट मूनूर इदिनाल्कनेय
प्रजापतिसवत्सर३८ द कार्तिक शुद्ध पचमि भादित्यवार मन्यसनसमन्वितवागि
स्वर्गस्तरावर मदवालिगे ३६ रामशनवर तन्दे मोडलुगोण्ड चरित्रदि नेगले विक्रमसंवत्सरद
भाषा