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-३७५ तवनन्दी आदिके लेख
२६९ ३७४ तवनन्दी (मैसूर)
१३वी सटी, फलढ १ स्वस्ति श्रीमूलसब सूर- २ स्वगण चित्रकूटान्वयन ३ प्रतिबद्ध
[ यह छोटा-सा लेख एक खण्डित जिनमूतिके पादपीठपर है। मूलमघ-मूगस्तगण-चित्रकूटान्वयके किमी व्यक्ति द्वारा यह मूर्ति स्थापित की गयी थी। लिपि १३वी सदीकी है।]
[ए. रि० मै० १९४२ पृ० १८५] ३७५ वरुण (मैमूर)
१३वीं सदी, सस्कृत-कसद १ श्रीमद् द्रविल- २ संगस्य नन्दिसं ३ घे हारुगले अ- ४न्वयेऽशेषशास्त्र५ज्ञ श्रीपाल
६ मुनिराश्रिय ७ तच्छियो विदुषां श्रेष्ठ पनप्रम९ मुनीश्वर. तस्य १० पुत्र तपोती११ धर्मसेनमहा
१२ मुनि ॥ सोयं १३ शुद्ध() स्वमावस्तो- १४ बायां (न)रपरिग्रहा१५ त्त्यक्ती जिनपटाने १६ त्रिदिव गतवान् बुध५७.
[इस लेखमें द्रविलसप-नन्दिसप-अरुंगल अन्वयके आचार्य श्रीपालके प्रशिष्य तथा पमप्रभके शिष्य धर्मसेनके समाधिमरणका उल्लेख है । लेखको लिपि १३वी मदीकी प्रतीत होती है।]
[ए. रि० मै० १९४० पृ० १७२ ]