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________________ २६० जैन शिलालेख संग्रह [ १४६ २ वादुनं सोमेयदण्णायकरु मेय्दुन वाचेयढण्णायकरु होकुद्रट बसदि जीणवा ३. दण्णायकरुं जीर्णोद्धारखं माडिलिकं - य निडिसिद्रु [ इस लेखमें होयसल राजा नरसिंहके शासनकाल में चैत्र शु १, गुरुवार, प्रजोत्पत्ति सवत्सर के दिन होकुदकी बसदिके जीर्णोद्धारका उल्लेख है । यह कार्य सोमेय दण्डनायकके बहनोई वाचेय दण्डनायक द्वारा किया गया था । लिपि १३वी सदोकी है । सवत्सर नामानुसार यह वर्ष सन् १२७१ होगा जब नरसिंह तृतीयका राज्य चल रहा था । ) [ ए०रि० मे १९३७ पृ० १८७ ] ३४६ मुलगुन्द ( धारवाड, मैसूर ) शक ११९७ = सन् ११७५, कन्नड [ यह लेख वैशाख व १ (३), गुरुवार, शक ११९७ युव सवत्सरका है तथा पार्श्वनाथवसदिके भीतरी दीवालमें लगा है । इममें सरटूरुके तिलकरसके मन्त्री देवण्णके पुत्र अमृतैयके समाधिमरणका उल्लेख है । ] [रि० स० ए० १९२६-२७ क्र० ई ९१ पृ० ८ ] ३४७ अमरापुरम् (अनन्तपुर, आन्ध्र ) शक १२०० = सन् १२७८, कन्नड [ यह लेख निक्षुगल्लुके महामण्डलेश्वर इरुगोण चोल महाराजके समय आपाढ शु० ५ सोमवार शक १२००, ईश्वर इसमें मूलसघ- देशियगणके त्रिभुवनकीति राउलके शिष्य रिदेवके उपदेशसे संगयन बोम्मिसेट्टि तथा मेलन्बेके पुत्र सवत्सरका है बालेन्दु मलषामल्लिसेट्टि द्वारा
SR No.010009
Book TitleJain Shila Lekh Sangraha Part 4
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyadhar Johrapurkar
PublisherBharatiya Gyanpith
Publication Year
Total Pages464
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & History
File Size10 MB
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