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बालूके लेख
था। इसमें भी ग्ट्ट बनके राजा कार्नवीर्य ( चतुर्थ ) तथा उनके मन्त्री बीचणका उनके पूर्वजीके नाथ परिचय दिया है । बेलगांव मे बीचणके द्वाग स्थापित रजिनालय के अविष्ठाता शुभचन्द्र भट्टारक थे । ये मूलमघ कोण्डकुन्दान्वय-देशीयगण पुस्तकगच्छके मलघारिदेवके गिप्य नेमिचन्द्रके शिष्य थे । इन्हें कूण्डि प्रदेशके कोरवल्लि विभागका उम्बरवाणि ग्राम दान दिया गया था । ]
[ ए० इ० १३ पृ० २७ ]
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वालुर ( धारवाड, मैसूर )
कन्नड, राज्यवर्ष १६ = सन् १२०५
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[ इम लेखमें होयसन्न राजा वीरवल्लाल २ के समय राज्यवर्ष १६, क्रोधन नवत्सरमे आपाद व० 3 बुधवारके दिन मेघचन्द्रभट्टारकके शिष्य कसप गावण्डकी हम निसिधिको स्थापनाका उल्लेख है । ]
[रि० इ० ए० १९४५-४६ क्र० २१९]
३२१
वालूर ( धारवाड, मैसूर )
कन्नड, १३वीं सदी
[ यह निसिविलेख बहुत घिस गया है । 'श्रीवीतराग' इतने अक्षर पढे जा मकते है । ]
[ रि० इ० ए० १९४५-४६ क्र० २१४ ]