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-३१७ ]
रुगि आदिके लंग
३१५
रुगि (बिजापूर, मैनूर )
कट १२वीं सदी
[ यह लेन किसी जैन जाचायके समाधिमरणका स्मारक है । लिपि
१२वी नदीनी है । ]
२३५
[ ० ना० ए० १९३६-३७ ० ० ७९ पृ० १८८ ]
३१६
शेरगढ ( कोटा, राजम्यान )
मस्कृत-नागरी, १०वी सदी
[ इस लेन आचार्य वीरसेन तथा नागरमेन पण्डितका उल्लेख है । लिपि १२वी मदीकी है । ]
[ दि० इ० ए० १९५२-५३ क्र० ४३१ पृ० ८० ]
३१७
रायबाग (बेळगाव, मैसूर )
कन्नड, शक ११२२= मन् १२०१
[ यह लेग रट्ट वा कार्तवीर्य ४ के समय का है। इन राजाने बैमात्र पूर्णिमा, डाक ११२४, शुक्रवारको एक जिनमन्दिर के लिए कूण्डि ३००० प्रदेशका चिचलि ग्राम दान दिया था । ]
[ ० इ० ए० १९५५-५६ क्र० १५१ पृ० ३३ ]