________________
-१६७ ] अरलीवाटिका लेख
१२१ तथा नयसेनके गिप्प नरेन्द्रमेन (द्वितीय) को पाप कृष्ण :, शुक्रनगर, उत्तरायणमंक्रान्तिके अवसरपर कुछ दान दिया। इसके वाद लेखम दिनकर, उनके पुत्र राजिमय्य तथा दूडम, दूडमकी पत्नी एचिकन्वे तथा पुत्री हम्भिकच्चे, हम्मिक्वेका पति मरनय तथा पुत्र बैद्य कनप एव कनपके पुत्र इन्दप, ईश्वर, गजि, बलिदेव, नादिनाय, शान्ति, एवं पार्श्वका वर्णन है। मभवन. इन लोगोंकी प्रार्थनापर दोणने उक्त दान दिना था।]
[ए० इ० १६ पृ० ५८]
अरसीवीडि (विजापुर, मैमूर) चालुक्यविक्रम वर्ष १० = मन् १०८५, कन्नड [ इन लेखकी तिथि आषाढ शु. १, बुधवार, क्रोधन नवत्सर, चालुक्य वर्ष १० ऐमी है। इस समर मुकवेग मन्तर वर्मणने विक्रमपुर (वर्तमान मरमीवीडि) स्थित गोणद वेडगि जिनालयके ऋपि-अजिंकामोको बाहारदान देनेके लिए कुछ करोका उत्पन्न दान दिया था। मिन्द वंशके सिन्दरसके पुत्र वर्मदेवरसके मवीन प्रान्तीय शासकके रूपमें मुंकवेगडे नियुक्त था।] [मूल लेख कन्नडम मुद्रित ]
[मा० इ० इ० ११ पृ० २३९]
मरुत्त्वक्कुडि ( तंजोर, मद्रास)
तमिल, सन् १०४६ [ यह लेख ऐरावतेश्वर मन्दिरके आगे मण्डपको दक्षिणी दीवालपर है। त्रिभुवनचक्रवति कुलोत्तुंग चोलदेव, जिसने मदुरा जीतकर पाण्डय