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मत्तिकट्टि आदिके लेख
मत्तिकहि (जि. धारवाड, मैसूर)
शक ९९० = सन् १०६८, कन्ड [ यह लेख टूटा हुआ है । मत्तिकट्ट ग्रामकी कुछ जमीन पेगडे कालिमय्यने मत्तिसेन भट्टारकको दान दी इसका इसमें निर्देश है । (यह नाम मतिसेन अथवा मल्लिसेन हो सकता है)। यह दान कालिमय्य-द्वारा निर्मित एक जिनालयके लिए दिया था। कालिमय्यको (चालुक्य ) सम्राट त्रैलोक्य ( मल्लदेव ) का पादपद्मोपजीवी कहा है । ]
[रि० सा० ए० १९४४-४५ एफ् ४२ ]
१५०-१५१ करन्दै ( उत्तर अर्काट, मद्रास)
सन् १०६८, तमिल [इस लेख में चोल वंशके राजा राजकेसरिवर्मन् वीरराजेन्द्रदेवके राज्य वर्ष ५में तिरुक्कामकोट्टपुरम्के निकट करन्दै ग्रामके जिन मन्दिरके लिए कुछ भूमि ग्रामसभाके तीन सदस्योद्वारा दान दिये जानेका उल्लेख है। यहींक दूसरे लेखमें इस मन्दिरमें सततदीप रखनेके लिए कुछ वकरियोंके दानका उल्लेख है। इस लेखमें मन्दिरके देवताका उल्लेख अरुगर् देवर् वीरराजेन्द्रपेरम्वल्लि आल्वार ऐसा किया है। यह दान कालियूर प्रदेशके परम्वूर ग्रामके तुगिलिकिलान् मरयन् उडयान्-द्वारा दिया गया था।]
[रि० सा० ए० १९३९-४० क्र० १२९-१३०]
मत्तावार ( मैसूर)
शक ९९१ =सन् २०१९, कन्नड १ श्रीमत्परमगंमीरस्याद्वादामोघलांछ