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मथुराके लेख
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मथुरा - प्राकृत !
[हुविष्क वर्ष ८७ ]
[ नं ८०७२] गृ १ दि [ २० १] अ [ स्मि ] क्षुणे उच्चेनागर
स्वार्य्यकुमारनन्दिशिष्यत्व मित्रस्य"
अनुवाद- -८७ (१) वें वर्ष में ग्रीष्मऋतुके १ ले महीनेके २० ( ? ) चें दिन, उच्च नागरके, कुमारनन्दीके शिष्य, मित्रके .....
[El, 1, n° XLIII, no 13]
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मथुरा - प्राकृत -- भग्न |
[ वासुदेव ] वर्ष ८७
१. सिद्ध । महाराजत्य राजातिराजस्य शाहिर - वासुदेवस्य
२. म ८० ७ हे २ दि ३० एतस्या पुर्वाया
अनुवाद - सिद्धि हो । महाराज राजातिराज शाहि वासुदेवके ८७ दें वर्षकी शीतऋतुके २ रे महीनेके तीसवें दिन,
[14, XXXIII, p 108, n°22]
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मथुरा - प्राकृतः भन्न
[सं० ९० ]
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१. सब [ ९० ] टुबनिए दिनस्य वधूय २. को तोग [णा ] तो पत्र [ह] [क] ते कुलानो मझमानो शाखा [ तो ] ...सनिकय भतिन्रलाए भिनि
शाखा
[ यह लेख बहुत टूटा हुआ है। इसमें खास कामको चीज मझमा और प वह क कुलका उल्लेख है । वहक कुल जैन परम्पराका वाहनक या पहवाहणय कुल है । वर्ष ( सं ) ९० है ]
[EL, 11, n XIV, n° 22 ]
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