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कस्बदहल्लिका लेख जड़ित चोटियाँ यी-समन्वित एक विशाल चैत्यालय, तथा मन्दिरकी मरम्मत करने, पूजाका प्रबन्ध करने, ऋषि और वृन्द सियोको माहारदान देने, तथा शीतसे रक्षा करनेके लिये-त्रिभुवनमल्ल होरपल-देवके हाथोंसे तमाम चुगियों व करोसे मुक्त भूमि गुत्तिके चिन्न और बम्म मछुएसे ५ हमके किरायेसे लेकर (उक्त मितिको), अपने गुरु गण्डविमुक्त-सिद्धान्तदेवके पैरोंका प्रक्षालन करके उन्हें दी । (हमेशाके मन्तिम श्लोक)
मल्लिनायने इसे लिसा और माणिमोजके पुत्र बलकोजने उत्कीर्ण किया।
[EC, VI, Mudgere th, n° 22]
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कम्बदहल्लिकनड़-भम [विना काल-निर्देशका, पर सम्भवत लगभग ११३० ई०]
[कम्बदहल्लिमे, जैन बस्तिके सामनेके पाषाणपर ] खस्ति यम-नियम-स्वाध्याय-ध्यान-धारण-मौनानुष्ठान-जप-समाधिशील-गुण-सम्पन्नरप्प श्री-मूलसंघद कोण्डकुन्दान्वयद देशियगणद पुस्तकं गच्छद श्री-प्रभाचन्द्रसैद्धान्तिकर शिप्यितियरम्प ." ......"कय रुकमब्वे जक कन्तियर्गे तव "निसिधिय माडिसि ................"स्वर्गस्थर........... ...
[(सर्वसाधुगुणसम्पन) प्रभाचन्द्र-सैद्धान्तिककी शिष्याएँ रुकमवे और जकन्वे-कान्तिररी स्मृतिमे 'स्मारक बनवाया।] .
[EC, IV, Nagamangala tl, no 21] .
तगदुरा-कन्नड़ [विना कालनिर्देशका]
(जै०शि० म०, प्र० भा०)
शि० २९