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जैन - शिलालेख संग्रह
अन्तेनिसि नेगर्द्दग ङ्ग-पेर्म्माडि-देवरु गङ्ग-महादेवियरु कुमार-वर्गमुं मण्डकि-सासिरदोळगणे डेहलिय वीडिनो सुख-संक्रया विनोददि राज्यं गेय्युत्त मिरला -महा-मण्डलेश्वरनर्द्धाङ्ग-लक्ष्मि ||
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श्री-धु जय त्रधु कीर्त्ति | श्री - बधु वाग्बधुवेनिप्प वधु गङ्ग नृप । ई - धुवे निसिद वाचल - देवियोळेणेयेन् वेनुळि नृप-वनितेयरम् ॥ ई-चतुरम्बुधि-वेष्टित- भू-चक्रद सतियरेन्नलाढढवेनो । वाचल-देविगे समन् "|-च-मणि प्रतति दोरेये चिन्तामणियो || काम-मढेभ-गामिनिगे‘''नमे पूज्यमेनिप्प पेम्पिनिन्द् ।
ईव म तणुपि कल्प- कुजक्केणे.... दू... • र-दान-गुण-भूपणे दान - विनोटे दान- चिन्- | तामणि दान-कल्प-लतेयेम्बिदु वाचल- देवि गोष्पदे || एरगदराति भूभुजरनाजियोळञ्जिसि निजाङ्घ्रिगळ | एरगिसुतिर्प दर्पद पोड
गण्डनप्प त ।
न्नरेयन....... “तनगे गङ्ग-महीभुजन विलासदिन्द् । एरगिसि·--भाग्य-भरदुन्नति बाचल- देवि गोप्पुगुम् ॥
अन्तुमल्लदे ॥
अरि-विरुद - पात्र - जगदळ । धरेगेल्ल नीने राय जगदळे नानी |
धरेगेल्लमेन्दु पिरिदा-। दरदिन्द
सि पात्र - जगदळे - वेसरम् ॥
कुडे राय जगदळे-पेसर- । वडेद
पडेदऴ् रायरोळप्प कुडे बाचल-देवि पात्र - जगदळे-वेसरम् ॥
मत्तम् ॥
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"मेवुदे-नडे- तन्न महत्त्व-वृत्तियं ।
वेडदे नोडिरे नेगब्द वाचल - देविय कीर्त्ति ........|
...डेय कडेय वडवुगळीयलू |