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दानसालेका लेख पदाराधना-लब्ध-सप्ताङ्ग-राज्य-राजधानी- पोम्बुर्चदोलु सान्तर-पट्टम तादि सान्तळिगेशायिरमुमनेक-च्छत्र- च्छाय- यिन्दान्दु शान्तरमेम्वे - रडनेय पेसर पडेदनन्दि बलिग्रान्वये शान्तरान्वयाभिधानम पडेदुदातनिं वळिक्कमनेक-राज- सन्तानकमतिक्रान्तमागे तदन्वयदोळु ॥ वृ || विरुदर मृत्यु वीरद नवर्मने चागद जन्म भूमि शा- । न्तर- कुळ बाधि-वर्द्धन शरत्-समयेन्दु समस्त सत्-कळा परिणतनङ्गना-जन-मनोभवनेन्दोसेदन्धियिं बुधोत्करमभित्रणिसल्के नेगळ्ढ धरेयो विभु शान्तर - ओड्डग || क ॥ नव-जळदढल्लि मिष्नुम् सुवुदुवद शान्तरोडगं वाळू गित्तन्- । तेबोलादुढेन्दु पोगळ्व | भुवनाधिपनात्म-समेयोळा - भूपतिय ||
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आतननुज ॥
क || अदटिनिदिरान्त-भूपर- । नदटलदेरदर्थि-निकरम तणिपि जगद्- । विदित या नेगळ्द भू- । प दिलीप वैरि-वीर काळ तैल ||
तत्पुत्र ||
क || आयद कळे
मदवद्- 1 दायाद-नृपाळ-द-विच्छेदनन- ।
त्यात दोर्द जय |
जायापति दलित-रि-वीरं वीर ॥
अवन मनोरमे गङ्गा- । वाय- पीयूपत्रार्द्धि-सम्भवे लाव- ।
प्यवति मनोभव-राज्यो- | नव-विळ सज्जन्म भूमि बीरल-देवी ॥