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जैन-शिलालेख संग्रह
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मदलापुर-कन्नड-भन्न [काल लुप्त,-पर सभवतः लगभग १०८० ई.] [मदलापुर (मल्लिपद्दण परगना)में, गोणि वृक्षके नीचे एक पाषाणपर]
(सामने ) खस्ति श्रीमतुः 'वर्य-नल्लरस... "अरकेरेय बसदि माडितु इदके "वदु-गद्दे ' . मण्णु अय्-गण्डुग पिरिय""दोळय्गण्डुग-मण्णु विसवूर-मण्णु अय्-गण्डुग कोटेय मण्णु मु-गण्डुग इनितु बसदिगे सल्व-भूमि अदा-पदके अदटरादित्य अधिरत-पाण्ड्यय वेळ्तु ............."अरसर-कालदोळ् श्रीम' मन्ने-ग"सिबय्य.. गुड्डय... . ..."मण्डळ कलाचन्द्र-सिद्धान्त-देव-भट्टारर शिष्यर""" अमळचन्द्र-भट्टारकर” • “बसदिय माडि ... " सल्सिदु" (हमेशाका अन्तिम श्लोक)।
सेनवोव दे ........." [ ...."नल्लरसने अरकेरेकी बसदि बनाई। ( उक्त) भूमिका दान उसके लिये किया । जो कोई इसे नष्ट करेगा, वह अदटरादित्यके क्रोधका पात्र होगा।
• ...अरसके समयमें, .. • रमण्डल कलाचन्द्र-सिद्धान्तदेव-भट्टारके शिष्य अमलचन्द्र-भट्टारकने इस बसदिको बनवाया । हमेशाका अन्तिम लोक । सेनवोव दे.....]
[EC, V, Arkalgud tl n° 2021
२२५ खजुराहो-संस्कृत
[सं० ११४२=१०८५ ई०] [इस प्रतिमा-लेखके लेखका पता नहीं है, क्योकि यह लेख एक खण्डित प्रतिमापरसे ए. कनिंघमने लिया है, जो कि प्रतिष्ठाकाल और प्रतिमाके नामके सिवा और कुछ नहीं बताता । इस प्रतिमाकी प्रतिष्ठा या स्थापना