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बलगाम्वेका लेख
२६५ और श्लोक)........त रितोक्ति-सहित.... ......"खं मुखाब्ज-लसित ......" मनोदयं सद"....."मदनेम्बिनं नेगळ्द..........( हमेशाका अन्तिम श्लोक)।
[जिनशासनके कल्याणकी कामना । श्रीमद् मल्लके पुत्रद्वारा यह शासन (दान) कुलचन्द्र-देव-मुनिको मिला था । जिस समय (चालुक्य पदों महित) भुवनकमल देवका विजय-राज्य प्रवर्द्धमान था और चे बकापुरमें रहते थे.-तत्पादपनोपजीवी चालुत्य पेाडि भुवनैकवीर उदयादित्य शासन कर रहे थे-भुवनैकमाल-देवने शान्तिनाथ मन्दिरके लिये, (उक मितिको), मूलसंघान्वय तथा काणूर-गणके परमानन्द-सिदान्त-देवके शिष्य कुलचन्द्र-देवको नागरखण्डमें भूमिटान किया।]
[EC, VII, Shikarpur ti, n* 221 ]
चलगाम्बे-कनड़ [विना काल निर्देशका, पर संभवत लगभग ५०७५ ई० ?] [वलगाम्बेमें, चन्न वसवप्पके सेतमें भग्न जिन-मूर्तिपर ]
(नागरी अक्षर) स्वस्ति श्री चित्रकूटाम्नायदावलि मालवद शान्तिनाथ-देवसम्बन्ध श्री-बलात्कार-गण मुनिचन्द्र-सिद्धान्त-देवर गिसिनु अनन्तकीर्ति देवरु हेगडे केसव-देवङ्गे धारा-पूर्वक माडि कोटेवु प्रथिष्टे पुण्य सान्ति (यहाँ दानकी विगत दी हुई है)।
[बलात्कार-गणके, मालवके शान्ति-नाथ-देवले सम्बन्धित चित्रकूटानायके मुनिचन्द्र-सिद्धान्त-देवके शिष्य अनन्तकीर्चि-देवने हेग्गडे केशवदेवको दान दिया ( यहाँ उसकी विगत है)।]
[EC, VII, shikapur ti, n° 134.J