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सौदत्तिका लेख
२६१ शीकर काळानळनु (ने).........."तदम्प (१) भयंकरविद्विीड्महिपाळ मेघलयकाळोत्पातवातं क्षितीश्वर-चूडामणि]........... [1] श्रीवनितेशं कीर्तिश्रीवनिताधीशनुदित संशुद्धवच(चः)श्रीरमणीशं वीर (श्री) ............! जिन] नाराधिपदेवनुद्धचरितविद्यावन".......... टासनधर्मा (1) रुगन्विरो...... जनकनुबिजाते प्रत्यक्ष गोमिनि तायि मैळलदेवियेन्दधिक............."नोळ्दमतक्किवर्प () री क्षितिपति सैनि () र वधूप्रकर......."दिति.... • आतन कुळांगने [1] श्री वनिते ताने बन्दु मही वनितेगे तिळकमेनिसि कत्तन वक्ष (क्षः) श्रीवनिते नेगई [भाग]लदेवी जगजननि सज्जनाग्रणियेनिकु ॥ आ दपतिगळगे गिरिसुतेग हरगमनुरागदे पण्मुखनेन्तु पुट्ठवंत(वि)रे नेगर्द रुग्भिणिगमा ह[रिगं] स्मरनेन्तु पुष्टुवन्तिरे सले कान्तिग रविगमकतनूभव नेतुपुटुचन्तिरलवग्गोल्दुः पुट्टिदनु रगु कलि सेनभूभुज ॥ अवनीपालानत श्री[ पद ]कमलयुग तत्वनिर्णिक्तराद्धान्तविद चारित्ररत्नाकरनमळवच(चः)श्रीवधूकान्तन गोद्भवदारण्यदावानळनुदितलसद्बोधसशुद्धनेत्र रविचन्द्रस्वामि भव्याम्बुजदिनपनघौघाद्रिसद्वज्रपात ॥ क ॥ कडूगणाब्धिचन्द्रन खण्डितसुतपोविभासिखण्डितमदनं डिंडीरपिंड सुरवेदण (ण्ड)[य]शश पिण्डनहणंदि मुनीन्द्र ।। मल्लिकामाले ॥ कन्तुराजगजेन्द्रकेसरि भ[ व्यलोकसुखाकर कान्तवाग्वनितामनोरमनुप्रवीरतपो]मय शान्तमूर्ति दिगन्तकीर्तिविराजि द्रडा ( ढाभिमानी रणभूसेनानि रट्टान्वयश्रीनेत्र बुधमित्र नुव (जब ) ळयशपात्रं नृपं रजिपं आ सेनावनिपगमप्रतिमलक्ष्मीदेविंग पुट्टिद । भूसंरक्षणदक्षदक्षिणभुज विध्वस्तशत्रुन (ब) जं त्रासानम्रनृपालपाळितजयश्रीस(श)स्तान्विता