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जैन-शिलालेख संग्रह दु एल्दु ढवे तम्म क्षेमकिरदल्लि मेचिर ताळ्बदु परत्रे यपुढेवदेरू महाप्रभु-गोवपश्यन् इन्त् इन्टपु समाधियोळे मुडिपि नान्दिदन्नितमरेन्द्रभोगम ॥ पदेदोम् श्री-पुरुपयल् आम्मु-मोदलोळ कल्नाडन् अन्दो बळेक एदेयो अकुडु भूतिमूतुगानो टोत धाण धीमे सळे पडेटे... पितृ-कळत्र-मित्र-जनम काव्यान्य ताब्द अप्पोडी-नुडियल वेल्कुमे पेम्पन् ओप्प गुणते तोळमिकिन्द गोपय्यनम् ॥
[महाप्रभु गोवपय्यको श्रीपुरुषकी तरफसे भूमि-दान मिला था और वे (गो प.) समाधिमरणपूर्वक मरे थे।]
[EC, III, Mysore ti, no 6]
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देवलापुर-कन्नड। विना कालनिर्देशका (सभवतः लगभग ७५० ई.)
[देवलापुर (कूइनहल्लि तालुका), मारीगुडीके पूर्वमे ] स्वस्ति श्रीपुरुप-महा ...... पृथुवी-राज्यकेये अरट्टि " रम्मगन्दिर सिंग टीसे बीळादु अरहि-तीर कुडलरद गोट्टे मडिओडे-यम्बर आज्विकर
(पृष्टभागपर) नोकज-ओडे आग्गढीकड · · कोट्ट नेल तेनेन्वक काहूकु साक्षी कुडलू पोद्भुलरु एकमडियरु एठिरियरु मद्गरु कागबरु साक्षि आग कोटदु आळ् आळ् किडिशिटोन वारणासिया शासिर-कविले शासिरपावर कोन्द कोले आका कोडिशिदोनु ....."कड्डुवेडिळोनुडि तेने.. विद स्वचोनु । अरटिंग तकर कुडलूर आव्वत्ति