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________________ अंक १] कुंरपाल लोणपाल प्रशस्ति [ २७ श्रीश्रंग वेसराज राजपाल जीणासीह मल्लसीह ऋपमदास (अपर नाम रेषा, भार्या रेपश्री) प्रेमन (वा पेमा) कुंरपाल सोनपाल ? तसी नेतसी ( पुत्री ) जादो . करपाल सोनपाल ओसवाल जाति के लोढा गोत्रीय थे । इन को जहांगीर वादशाह का अमात्य ( मंत्री) करके लिया है। जहांगीर के राज्य सम्बन्धी एक दो फारसी किताबें देखी परन्तु उन में इन का नाम उपलब्ध नहीं हुआ। ८. मूर्तियों के लेखा1 से मालूम होता है कि कुंरपाल सोनपाल के वंश को गाणी वंश कहते थे और इन लेखों से उन के परिवार के कुछ नामों का भी पता चलता है जो प्रशस्ति में पढ़े नहीं जाते जैसे कि:- ऋपभदास के कुंरपाल सोनपाल के सिवाय रूपचंद, चतुर्भुज, धनपाल, दुनीचंद आदि और भी पुत्र थे। प्रेमन की भार्या का नाम शक्ता देवी था। पेतसी की भार्या का नाम भक्ता देवी था उन का पुत्र०सांग था। ९. इस के अतिरिक्त “ जैनसाहित्य संशोधक " खण्ड १ अंक ४ में जो सं.१६६७ का “ आगरा संघनो सचित्र सल्वसरिक पत्र " प्रकाशित हुआ है, उस में कुछ नाम प्रशस्ति के नामों से मिलते हैं परन्तु यहनत निश्चयपूर्वक नहीं कही जा सक्ती कि दोनों लेखों में एक ही व्यक्ति का उल्लेख है या भिन्न २ काः 1 येह लेख पैरेग्राफ १३ मे उध्दृत किये गए हैं।
SR No.010005
Book TitleJain Sahitya Sanshodhak Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinvijay
PublisherJain Sahitya Sanshodhak Samaj Puna
Publication Year
Total Pages127
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Articles
File Size9 MB
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