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आसार-प्रदर्शन,
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आ निबन्धसंग्रहान्मक पहना प्रथम अंच गया ज्येष्ठ मासमां प्रकट थयो हनी ४ महिना पछी आज आ चीजो अंक वाचकोना हाथमा समर्पवामां आवे छ.
आप्रयान फन या संस्थाना स्थापक अन पनना संपादक मुनिश्रीना एक मात्र साहित्यप्रेय सनत अध्यवसायता फळ वन्य ज्ञछ. जैन समाजमां आवा प्रकारना उश्य कोटिना साहित्य लमजनार के नेमां रस लेनार गगया गांच्या पुनयोज हावाधी, आ कार्यमा समाज नरफयी सहजे णु माटुं उत्तेजन मळी जशे पी आशा थी तो, आ (कार्यना) प्रारंभ करवामां बान्यां जन हती. परंतु, जे ये चार नही सज्जनोए, आ कार्यमाटे प्रारंभिक मदन पापवानुं विश्वस्त वचन पृज्य मुनिराज श्रीजिनविजयीन भायूं तुं नमनाज विश्वास उपरभाधार राव ने पानी शरूयान करवामां आवी हती. परंतु प्रथम अंकना मुद्रणकाल दरम्यान ज ते स्नेही सज्जनो तरफपी सविशेष उदासीन वृत्तिना अनुभव भयो अन तेथी मुनिश्रीप आदिम नेत अनिम पवा रूपमांगत अंकन प्रकट करावानी व्यवस्था करी. पण, जैन साहित्यना सद्भाग्ये, नेज अरनामां, मुंबई निवासी उदारचिन साहित्यप्रिय श्रीयुत भाई श्रीहरगोविंददास रामजीए, अमुक वर्या पर्यंत, निरपेक्षमाद आ कार्यमा लोल्लासपूर्ण आर्थिक सहायता आपत्रानी असाधारण इच्छा प्रकट करी, आ कार्यन व्यवथिन म चालू राग्नबाट माटे उन मुनिश्रीन सादर आग्रह को, प, माईश्रीनी आवी अचिन्य सहायता-निरपेक्ष उदारताना योग्ये जाजे भा यांजी अंक अमे वाचकाने अर्पण करीए डीग अन भविष्यमा पण हवं यथासमय करता रहा.
श्रीयुत भाई श्रीहरगोविंददासजी पोतानी आत्री मोटी प्रशंसनीय उदारताना कारणे या समाज अने पत्रना एक मांटा "संरक्षक" बन्या छ, पटलुज नहीं, परंतु तेमनी आ उदारताप जैन साहित्यना अभ्यासी अने रसिक जना उपर अनुपम उपकार क्रया छ. अमे अमारी आ संस्था तरफी तेमज जैन साहित्य संशोधकना मकल सुन बायको नरफी भाई श्री हरगोविंददास रामलीन प यायनमाटे अंनाकारण पूर्वक अनेकानेक धन्यवाद आपीए डीप अने तेमना हाथे यावां अनेकानेक मुकन्यो याओ पन सदा इच्छीए छीप. नथास्तु.
बळी, जे जे सद्गृहस्थाए या संस्थाना पेटत्त, वाईस पेटन. सहायक के लाईफ मेंबर विगर थई प्रस्तुत कार्यमा उदार आर्थिक सहायता पापी छ अथवा आप्या कर के, तेमने पण हार्दिक धन्यवाद भापवामां आवे छ भने आ नीचे नेमनां शुभ नामो आदरपूर्वक प्रकट करवामां थावे .
पंदन. श्रीयुन हीरालाल अमृतलाल नाह. बी. ए. मुंबई.
वाईस पेटन. श्रीयुत केशवलाल प्रेमचंद मंदी. वी. ए. एल्. एल. बी. वकील-अमदाबाद.