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जैन साहित्य संशोधक समाजकी तरफस शीत्र ((हिन्दी लेख विभाग): ही एक जैन प्रागत संस्कृत नन्धमाला निकलेनजैनेन्द्र व्याकरण और आचार्य देवनन्दी बाली है जिसमें जन साहित्य के उत्तमोत्तम, प्राची लेखक-श्रीयंत पं. नाथूरामजी प्रेमी, संगा-न
न और अन्य बुदा अन्य प्रकट किया जायेगे ... -जनहितेपो ............ .. इन अन्याम जग आगम नत्र, नियुनि, जणि भार ।
वृत्ति न्याय व्याकरण, काव्या कोप, साहित्य : २ गत्वरित महामायको खोज-ले श्रीयन
लंकार, चरित्र, पुराण, प्रबन्ध इत्यादि सबै प्रकार.-. बाद जुगल किशोरजी मुख्तार ....८८-६५ के ग्रंथ रहने ये सब वान पनि जान और तीर्थयात्रा के लिये निकलनेवाले संघाका वर्णन', अजैन विद्वानों के द्वारा संपादित होकर करें।
सम्पादकीय.................२६-१०७. जैन साहित्यके देखने को मिचोका दिन सलमेर के पटवाक संघका वर्णन पर दिन बढ़ती जा रही है तुमक ना अभी तक (सम्पादकीय:': ...........०७-१२ उत्तम प्रकारसे जैन ग्रन्थ पे ही नही है और जो : शोकसमाचार. ...... ... ... .: जेल से छरे हैं उनकी प्राप्ति भी संय साधारण (डॉ० सतीशचन्द्र विद्यामपण : लिये दुःसाध्य हो नहीं परत असाध्य हो रही है।
२. इस लिय अनेक विद्वानोक भाग्नहसे इस संस्थान ..(६) लो बाल गंगाधर तिलक...... ११५. ६विन परिचय..... ............. ११८
जो लजन इस ग्रन्थमालेके स्थायी ग्राहक यन
ना चाहेंगे उन्हें सब अन्य पानी नितंस याने म.. । गुजराती लेख विभाग) ल्यमें दिये जायगे । स्थायी ग्राहक बनने के लिये .. सोमनाचा विरचित मारपाल प्रतिबोधः पया प्रथम प्रवेश झांके लिये भेजना चाहिए ।
ग्रंथ ज्यो क्यों छपते जायगे त्या लो बी. पी. करके डॉ हर्मन जैशाचीनी जैनोनी प्रस्तावना
भेज जायेंगे । ' अनुवादक-शाह अन्यालाल चतुरभाई... कागज, साईत. छपाई. सफरर इत्यादि । 'ची. ए. (जैन सा.से. कार्यालय तरको काम उत्तम प्रकारका होगा। विशेष हाल जानने के साइय-लमालोजन ............ लिये जागी बारा पूटिंग - .::
धनपालात भविष्यदत्तकथा . ... ... पत्रव्यवहार करने का पता १२) रीश्वर धने सन्नाह ...९८ . (३) तत्वार्थ विशिष्ट भापान्तर
व्यवस्थाप १० मुंबई युनिवलिटीमा एम् ए लालनों जैन साहित्य संयोधक कार्यालय अंधमागधी कोन............
.... पंजाब युनिवर्सिटीना जनसाहित्य :
. भारत जैन विद्यालय
यूना-लीटी.
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वृह टिप्पनिका नाम प्राचीन जैनप्रन्धुसूची।