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अंक २]
साहित्य-समालोच बिलकुल प्रवतेलो नथी. आ विपयनी विशेष विग- क लेखी साधनोरूपे स्वीकारवाना विषयतोना संशोधननुं कार्य भावि शोधखोळ उपर निर्भ- . रछे तेम छतां मने आशा छ के, हुं जैनधर्मनी स्व
मां, अत्यार सुधी जे केटलाक विद्वानोना मनमा तंत्रताना संबंधमां तथा सेना पवित्रन (आगमो) अमुक संदेहो स्थान पामी रह्या छे, तेने दूर करवा ने, ते धर्मना प्राचीन इतिहासने कर करवामां सफळ थयो छु.
साहित्य-समालोचन,
भविष्यदत्त कथा जैन समाजमां जाणीती छे अने धनपालकृत भविष्यदत्त कथा.
संस्कृत प्राकृतमां बनेली ए नामनी बीजी पण घणी [डॉ. हर्मन जेकोबी द्वारा संपादित अने जम- मीनं माहात्म्य वर्णवामां आव्यु छे. धनपालनी आ
.. कथाओ उपलब्ध थाय छे कथानी वस्तुमां शान पंच. नीमा प्रकाशित. प्रख्यात जर्मन विद्वान् डॉ. हर्मन जेको नाम
.. कथानुं संपादन करवामाटे डॉ. जेकोबीए जे परिएक जैन स्कॉलर तरीके जगत्प्रसिद्ध छे. तेमणे
- श्रम उठाव्यो छे ते तेमा रहेली वस्तुनी हटिए नार्ह जैनधर्म अने जैन साहित्यनो घणो ऊंडो अभ्यास
परंतु तेनी भापानी दृष्टिप. छे. आ कथानी रचना कों छे. जैन धर्मना केटलाए संस्कृत-प्राकृत
अपभ्रंश भाषामां थएली छे. अपभ्रंशभापा ए भारग्रंथोनुं तेमणे संशोधन अने संपादन कर्यु छे.
तवर्षनी हिन्दी गुजराती आदि प्रचलित मुख्य भा. तेमज केटलाएन जर्मन अने इंग्रेजी भाषामां भापां
षाओनी अनंतर जननी छे. मूळ संस्कृतमांधी प्रा. तर कर्यु छे. जैन धर्म, जैन इतिहास अने जैन सा
कृत निकळी, प्राकृतमाथी अपभ्रंश जन्मी अने अने हित्य उपर तेमणे अनेक लेखो लख्या छे, अने भा
- अपभ्रंशमाथी आजनी देशभापाओ अवतरी; एबुंभापणो प्य छे. आजे अमे, आ नीचे, डॉ. साहेये
पाशास्त्रनुं कथन छे. अपभ्रंश भाषानुं व्याकरण तो संपादन करेला एक जैन पुस्तक संक्षिप्त परिचय ,
हम हेमचंद्रसूरिए पोताना सिद्धहेम व्याकरणना आठ
। आपवा इच्छाए छीए जे हमणांज प्रकट थयु छे.
मा अध्यायना चोथा पादमा विस्तृत रीते आपलं
- छे परंतु भाषाशास्त्रिओने आज सुधीमा ए वातनी ए पुस्तकनुं नाम भविष्यदत्त कथा ('भावस्स- खवर होती मळी के, केटलाक छूटा छवाया दोयत्त कहा') छे अने ते धनपाल नामे एक वणिक् हाओ के तेवाज वीजा पद्यो सिवाय ए भापामां रविद्वाननु चनावलं छे. धनपाल नामे प्रसिद्ध जैन चापला अखंड ग्रंथो पण जनोना जूना पुस्तक ब्राह्मण पंडित, जे विक्रमनी ११ मी शताब्दीमां, भंडारोमां पड्या पड्या उड्या करे छे ! सन् १९१४ संस्कृतसाहित्यप्रसिद्ध नृपति भोजना समयमां नी सालमां ज्यारे डॉ. जेकोबी हिंदुस्थाननी मुलाथई गयो छे अने जेणे तिलकमंजरी नामे एक श्रेष्ठ खात आल्या त्यारे तेमणे ए संबंधमां केटलीक जैन आख्यायिका वनावी छ, तेनाथी आ धनपाल
पूछ-परछ करी, जेना परिणामे अमदाबाद निवाभिन्न समजवो जोईए. ते धनपाल जाते ब्राह्मण हतो
सी साहित्यरासिक श्रावक भाई श्रीकेशवलाल प्रेमअने था धनपाल धक्कडवंशीय वैश्य जातिनो छे.
- चंद मोदीना प्रयत्नथी प्रस्तुत कथानी एक प्रति एना पितानुं नाम महेश्वर अने मातातुं नाम धनश्री हतुं. ए उपरांत, ए क्यांनी वतनी हती अने व्यारे तेमना जोवामां आवी. डॉ. जेकोबी ए ग्रंथ जोई बटु थई गयो, ते जणायुं नथी. एनी कृतिनी भापा उप- खुशी थया अने तुरत ते आखा पुस्तकनो फोटोरथी जे अनुमान थाय छे ते प्रमाणे ए विक्रमनी ग्राफ पडावी लई पोतानी साथे जर्मनी लई गया. १२ मी अगर १३ मी शताब्दी थयो होवो जोईए. पाछळथी तेमणे ए ग्रंथनी बीजी प्रतो मेळववामाटे