SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 82
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह छन्द पद्धरी। जय श्रीमनु मुनिराजा महंत, त्रस थावरकी रक्षा करत । जय मिथ्यातम नाशक पतंग, करुणारसपूरित अंग अंग॥२॥ जय श्रीस्वरमनु अकलंकरूप, पदसेव करत नित अमर भूप । जय पंच अक्ष जीते महान, तप तपत देह कंचनससान ॥३॥ जय निचय सप्त तत्वार्थभाम, तप-रमातनों तनमें प्रकाश । जय विपयरोध संबोध भान, परणतिके नाशन अचल ध्यान ॥४॥ जय जयहि सर्वमंदर दयाल, लखि इंद्रजालवत जगतजाल । जय तृष्णाहारी रमण गम, निज परणतिमें पायो विराम॥५॥ जय आनंदघन कल्याणरूप, कल्याण करत सबको अनूप । जय मद नाशन जयवान देव, निरमद विचरत सब करत सेव ।।६।। जय जयहि विनयलालम अमान, सब शत्रु मित्र जानत समान। जय कृशितकाय तपके प्रभाव, छवि छटा उडति आनंद दाय।७।। जयमित्र सकल जगके सुमित्र, अनगिनत अधम कीने पवित्र। जय चंद्रवदन राजीव-नैन, कबहुं विकथा बोलत न वैन ।।८॥ जय सातौं मुनिवर एकमंग, नित गगन-गमन करते अभंग। जय आये मथुरापुरमँ झार, तहँ मरी रोगको प्रति प्रचार॥९॥ जय जय तिन चरणनिके प्रसाद, सब मरी देवकृत मई वाद। जयलोक कर निर्भय समस्त, हम नमत सदा तिन जोड़हस्त १०॥
SR No.010003
Book TitleJain Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Prakash Jain Thekedar Delhi
PublisherMahavir Prakash Jain Thekedar Dehli
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size13 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy