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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह। तामधि जीवनके खंदा, हम खाये धरि आनंदा ॥ २० ॥ हा हा! मैं परमाद बसाई, विन देखे अगनि जलाई। तामधि जे जीव जु आये, तेहू परलोक सिधाये ॥ २१ ॥ बीध्यो अनराति पिसायो, ईंधन विन सोधि जलायो । झाड़ ले जागां बुहारी, चिवटी आदि जीव विदारी । ॥ २२ ॥ जल छानि जिवानी कीनी, सो हू पुनि डारि जु दीनी । नहिं जलथानक पहुँचाई, किरिया बिन पाप उपाई ॥ २३ ॥ जल मल मोरिन गिरवायो, कृमिकुल बहु घात करायो।।