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________________ श्री जैन पूजा-पाठ मंग्रह। नमा गहा उर जीवड़ा. जिनवर वचन गहाय । पुप्पं ॥२॥ शकर घृत सुरभी तना, व्यंजन पाम स्वाद । जिनके निकट चढ़ायकर हिग्दे धरि अहलाद ॥ क्षमा गहो उर जीवड़ा. जिनवर वचन गहाय । नवा ॥५॥ हाटक मय दीपक रचा. वाति कपूर सुधार । शोधित घृत कर पूजिय. मोह तिमिर निग्वार ॥ क्षमा गहां उर जीवड़ा. जिनवर बचन गहाय । दीपं ॥६॥ कृष्णागर करपूर हो. अथवा दस विधि जान । जिन चरणन दिग ग्वडये. अष्ट करम की हान ॥ क्षमा गहा उर जीवड़ा. जिनवर वचन गहाय । धृपं ॥७॥ केला अम्ब अनार ही. नारिंकल ले दाग्ब । अग्र धरो जिनपद नने. मोन होय जिन भाग्य । क्षमा गहो उर जीवड़ा. जिनवर वचन गहाय । फलं ॥८॥
SR No.010003
Book TitleJain Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Prakash Jain Thekedar Delhi
PublisherMahavir Prakash Jain Thekedar Dehli
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size13 MB
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