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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह
क्षमावणां पूजा भाषा ।
आसोज बढ़ी प्रतिपदा के दिन भगवानको मेरु पर विराजमान करके पंचमंगल और अभिषेक पाठ बोलकर नित्य नियम पूजा करनेके बाद निम्नलिखित क्षमावणां पूजा करना चाहिये । पश्चात सोलह कारणका अभिषेक करके भगवानको वेदीमें यथास्थान विराजमान करना चाहिये
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छप्पय ।
अंगमा जिन धर्म तनों दृढ़ मूल बानी | सम्यक रतन संभाल हृदय में निश्चय जानां ॥ तज मिथ्या विष मूल और चित निरमल ठानां । जिन धर्मी सां प्रीत करो सब पातिग भानां ॥ रत्नत्रय गह भविक जन जिन आज्ञा सम चालिये निश्चय कर आराधना करम रामको जालिये ॥
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ह्रीं सम्यक रत्नत्रयाय नमः अत्र अवतर अवतर मंत्रोपट श्राह्नाननं ॥ अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं । अत्र मम सन्निहिता भव भव वपट् सन्निधिकरणं पुष्पांजलि क्षिपन
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अथाष्टक |
नीर सुगंध सुहावनो पदम ग्रह को लाय । जन्म रोग निरवारिये सम्यक् रतन लहाय ॥ चमा गहो उर जीवड़ा जिनवर वचन गहाय ।