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________________ श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह क्षमावणां पूजा भाषा । आसोज बढ़ी प्रतिपदा के दिन भगवानको मेरु पर विराजमान करके पंचमंगल और अभिषेक पाठ बोलकर नित्य नियम पूजा करनेके बाद निम्नलिखित क्षमावणां पूजा करना चाहिये । पश्चात सोलह कारणका अभिषेक करके भगवानको वेदीमें यथास्थान विराजमान करना चाहिये २०२ 1 छप्पय । अंगमा जिन धर्म तनों दृढ़ मूल बानी | सम्यक रतन संभाल हृदय में निश्चय जानां ॥ तज मिथ्या विष मूल और चित निरमल ठानां । जिन धर्मी सां प्रीत करो सब पातिग भानां ॥ रत्नत्रय गह भविक जन जिन आज्ञा सम चालिये निश्चय कर आराधना करम रामको जालिये ॥ 1 ह्रीं सम्यक रत्नत्रयाय नमः अत्र अवतर अवतर मंत्रोपट श्राह्नाननं ॥ अत्र तिष्ठ तिष्ठ ठः ठः स्थापनं । अत्र मम सन्निहिता भव भव वपट् सन्निधिकरणं पुष्पांजलि क्षिपन ii अथाष्टक | नीर सुगंध सुहावनो पदम ग्रह को लाय । जन्म रोग निरवारिये सम्यक् रतन लहाय ॥ चमा गहो उर जीवड़ा जिनवर वचन गहाय ।
SR No.010003
Book TitleJain Pooja Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahavir Prakash Jain Thekedar Delhi
PublisherMahavir Prakash Jain Thekedar Dehli
Publication Year
Total Pages359
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual_text, & Ritual
File Size13 MB
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