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श्री जन पूजा-पाठ संग्रह ।
२३ अथ श्रीपार्श्वनाथाजन पूजा।
गमचन्द्र कन । ( अडिल्ल ) पाग्य मेरु-समान ध्यान में थिर भये । कमठ किये उपमगं यवं दिन में जये ।। ज्ञान-भानु उपजाय हानि विधि शिव बगे।
आह्वानन विधि कर प्रणाम त्रिविधा करी ।। श्रा ही श्री पार्श्वनाथ जिनेन्द्र अत्रावनगवनर मापट आह्वाननम । आ ही श्री पाश्वनाथ जिनेन्द्र अत्र निष्ट ठः ठः स्थापनम । श्रा ही श्रा पाश्वनाथ जिनेन्द्र अत्र मम मन्निहिता भव भव वपट मनिधीकरगाम।
अथ अष्टक ।। गीताद)।
जग्द इंदममान उज्वल म्वच्छ मुनि चित माग्यो । शुभ मलय मिश्रित भृग भरि हूँ गीत अनिहि तुपार मा ।। मा नार मनहर नृपा नाशन हिमन-उद्भव ल्यावही । श्री पाश्वनाथ जिनेन्द्र पूजं हृदय हग्य उपायही ।। श्री ही श्रीपाश्वनाथजनन्द्राय गर्भ, जन्म. नप. ज्ञान. निवाग पंचकल्याण प्राप्ताय जन्ममृत्य जगगंगविनाशनाय जलं निवपार्मानि म्वाहा।