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( २ ) देव पूजा गुगेपास्ति स्वाध्याय संयमस्तपः । दानं चेति गृहस्थानां षट् कर्माणि दिने दिने । गृहस्थों के पट कम में भगवान की पूजा और सुपात्रों को दान की मुख्यता है यहांपर हमें यह कहने में कोई संकोच नहीं कि श्रीमान् लाला महावीर प्रसाद जी ठेकेदार और उनके ज्येष्ठ पुत्र लाला श्यामलाल जी भगवान की पूजा में और दान में सदैव संलग्न रहते हैं तथा आपके अन्य सब पुत्र पौत्र सबही का चित्त धार्मिक कामों में रहता है आपके यहां से हजारों रुपये का दान होता रहता है आपने यह “जैन नित्य पूजन पाठ संग्रह" नाम का गुटका करीब ४०० पृष्ठ का छपाया है जोकि इसकी ५०.० प्रतियां स्वाध्याय प्रेमी भक्तों को बिना मूल्य बांटेंगे इससे सर्व साधारण जनता को अत्यन्त धर्म लाभ होगा। प्राशा है अन्य भी धनी दानी धर्मात्मा अापका अनुकर्ण करेंगे।
पं० मक्खनलाल जैन
धरमपुरा छै घरा देहली नोट-इस गुटके को शुद्धता पूर्वक छपाने में ला० जुगलकिशोर जी मालिक फर्म धूमीमल धरमदास ने बड़ा परिश्रम किया है अतएव धन्यवाद के पात्र हैं। पुस्तक मिलने का पतामहावीर प्रशाद एन्ड सन्स
चावड़ी बाजार देहलं', ६