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श्री जैन पूजा-पाठ संग्रह।
पांचों मेरु असी जिनधाम, सब प्रतिमाको करों प्रनाम । महासुख होय, देखे नाथ परमसुख होय ॥ ३ ॥ ओं ह्रीं पंचमम्मम्बंधिजिनचैत्यालयस्थजिनबिम्बभ्यो अक्षतान० वरन अनेक रहे महकाय, फूलनमा पूजों जिनराय । महासुख होय, देखे नाथ परमसुख होय ॥ पांचों मेरु असी जिनधाम, मव प्रतिमाको करों प्रनाम ! महासुख होय, देखे नाथ परमसुख होय ॥४॥ ओं ह्रीं पंचमसम्बंधिजिनचंत्यालयजिनबिम्बभ्या पुष्पं निव० मनवांछित बहु तुरत बनाय, चरमों पूजी श्री जिनराय । महासुख होय, देख नाथ परमसुख होय ।। पांचो मेरु असी जिनधाम, मब प्रतिमाको कगें प्रनाम । महासुग्व होय, देख नाथ परमसुख होय ।। ५ ॥ श्री ह्रीं पंचममसम्बंधिजिनचंत्याल यजिनविम्बभ्या नवेद्यं निर्व० तमहर उज्जवल जोति जगाय, दीपमों पूजी श्रीजिनराय । महासुख होय, दग्वे नाथ परममुख होय ॥ पांचों मेरु अमी जिनधाम, मत्र प्रतिमाको कगें प्रनाम । महासुख होय, देखे नाथ परमसुख होय ॥ ६ ॥ ओ ह्रीं पंचमझमम्बंजिनचंत्यालयजिनबिम्बंभ्या दीपं निर्व० खेऊं अगर अमल अधिकाय, धूपमों पूजी श्रीजिनराज । महासुख होय, देखे नाथ परम सुख होय ।।