SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 7
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 'बायोइलेक्ट्रोमेग्नेटिक फील्ड' वायु मंडल में वैसे तो बीस प्रकार के होते हैं, परंतु मानव शरीर के लिए चार प्रकार ही (बी. ई. एम. स.) अधिक उपयोगी माना गया है। इसी लिए वास्तु शास्त्र में इन पांच भूतों- पृथ्वी, जल, अग्नि, आकाश एवं वायु- का विशेष स्थान है। मनुष्य को वास्तु शास्त्र के एक सौ पचास नियम बहुत ही बारीकी से अध्ययन कर के अपनाने चाहिएं, क्योंकि भूखंड की स्थिति एवं कोण की स्थिति जानने के बाद वास्तु शास्त्र के सभी पहलुओं का सूचारु रूप से अध्ययन कर के ही भवन निर्माण, औद्योगिक भवन, व्यापारिक संस्थान आदि की स्थापना करें। तभी लाभ मिलेगा। आवासीय तथा व्यावसायिक भवन निर्माण करते समय यदि इन पांच तत्वों को समझ कर इनका यथोचित ध्यान रखा जाए, तो ब्रह्मांड की प्रबल शक्तियों का अद्भुत उपहार हमारे समस्त जीवन को सुखी एवं संपन्न बनाने में सहायक होंगे। इन पांच तत्वों का अलग से विवेचन इस प्रकार है : 1. आकाश (अवकाश) : आसमान एक मौलिक तत्व है, जिससे 'शब्द' की प्राप्ति होती है। आकाश में शून्य होने के कारण तथा पर्यावरण और हवा के माध्यम से (शब्द से) ध्वनि उत्पन्न होती है। आकाश (अवकाश) अर्थात आसमान अनंत है, असीम है और दुर्बोध (अगम्य) है। आकाश में स्थित ऊर्जा की तीव्रता, प्रकाश, लौकिक किरणें, विद्युत चुंबकीय बल, गुरुत्वाकर्षण शक्ति पृथ्वी तथा अन्य ग्रहों पर भिन्न-भिन्न पायी जाती है। पृथ्वी सौर मंडल का एक महत्वपूर्ण ग्रह है और सूर्य पर हर पल घटित होने वाली घटनाओं का प्रभाव, जाने-अनजाने, पृथ्वी पर होता है। प्रत्येक 10-11 वर्ष के पश्चात् सूर्य पर छोटे या बड़े विस्फोट होते रहते हैं। केवल उस समय में पृथ्वी पर इसके अच्छे या बुरे परिणाम दृष्टिगोचर होते हैं। ब्रह्मांड में तारागणों की अनेक आकाश गंगाएं (तारक पुंज) विद्यमान हैं, जहां हमारे (पृथ्वी के) सूर्य से बड़े सूर्य हैं। प्रत्येक ग्रह अपनी काल गति द्वारा निश्चित अपने ही कक्ष में भ्रमण करता है। इसका कुछ न कुछ गणितीय अर्थ अवश्य होगा? ब्रह्मांड स्थिर है, अतः सभी दिशाएं भी स्थिर हैं। आकाश द्वारा प्रदत्त ध्वनि के उपहार ने हमारे जीवन को समृद्ध बना दिया, दीवार की ऊंचाई से हमें मकान में यथेष्ट आकाश की प्राप्ति होती है। मंदिर-गुरुद्वारे के गुंबज एवं मस्जिद के मेहराब आकाश शक्ति की विपुलता के प्रतीक हैं। मकान की दीवारें छोटी होंगी, तो व्यक्ति को घुटन महसूस होगी। उसके शरीर में भी आकाश तत्व का विकास रुक जाएगा। इसलिए, मकान में यथेष्ट आकाश (space) का रखना चाहिए। 2. वायु (हवा): http://www.Apnihindi.com
SR No.010000
Book TitleSaral Vastu
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherZZZ Unknown
Publication Year
Total Pages97
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy