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जो केवल कम पानी होने पर दिखलाई देती थी। गृहस्वामी ने मजदूरों को बुला कर चट्टान तोड़ने का काम सौंपा। इस बीच वह खुद बीमार पड़ गया। आखिरकार उसने वह मकान बदला। उसके स्वास्थ्य में सुधार हुआ, परंतु फिर उसने वहां जाने में रुचि नहीं दिखायी । तबसे ले कर अब तक वह काटेज, खाली पड़ा-पड़ा, जीर्ण खंडहर में बदल गया है।
मध्यप्रदेश का एक बड़ा शहर है जबलपुर। वहां से एक सज्जन का बुलावा आया मकान वास्तु शास्त्र के नियमों से बना है। वास्तु विशेषज्ञ ने स्वयं खड़े रह कर उसे बनवाया है। परंतु गृहप्रवेश के बाद घर में ठीक से नींद नहीं आ रही है, जबकि हमारा शयन कक्ष भी वास्तु नियमों के अनुसार दक्षिण-उत्तर की ओर हैं। घर का नक्शा भी भेजा, पर बात कुछ बनी नहीं। उन्हें सुझाव दिया गया कि आप पांच हजार रुपये के भेजिए। ट्रेन का आरक्षण कराईए। मैं अमुक तारीख को आ सकता हूं। मुझे आपके भवन की आंतरिक सज्जा को देखना होगा। सज्जन मान गये । निश्चित तिथि पर मैं
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जबलपुर पहुंचा। पूरा भवन देखा, निरीक्षण किया, परंतु जब शयन कक्ष में प्रवेश किया, तो अवाक रह गया। वहां एक शेर की डरावनी खाल लटकी हुई थी। एक गेंडे का मसाला भरा हुआ शरीर था । शयन कक्ष के सामने ही आधुनिक कलाकृति के नाम पर ऊटपटांग भड़कीले रंगों वाला चित्र थ । नींद नहीं आने के सारे माध्यम तो शयन कक्ष में मौजूद थे, फिर नींद आये, तो कैसे? मैंने शयन कक्ष की आंतरिक साज-सज्जा पूरी बदली। उसमें कुछ सुंदर और सुखद परिवर्तन किये। तब जा कर गृहस्वामी को भरपूर निद्रा आने लगी। ध्यान रहे शयन कक्ष में कभी भी हिंसक प्राणी की मूर्ति, प्रतिमूर्ति का चित्र नहीं होना चाहिए। युद्ध-लड़ाई, मार-काट डरावने या ऊटपटांग चित्र यहां तक कि बेतरकीब रंगे हुए चित्र भी गृहस्वामी की नींद को खराब कर देते हैं इसलिए कुशल वास्तुविद को चाहिए कि गृहस्वामी की आंतरिक साज-सज्जा का भी भली भांति निरीक्षण करे।
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