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पुरुषार्थ सिद्धि उपाय : आचार्य अमत चंद्र स्वामी पुरुषार्थ देशना : परम पूज्य आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागरजी महाराज Page 87 of 583 ISBN # 81-7628-131-3 -2010:002
स्वामी ने 'स्वयंभू स्तोत्र' में सुपार्श्वनाथ स्वामी का स्तवन करते हुये लिखा है-बेटे को मेले में तब तक आनन्द आता है, जब तक पिता व माँ की अंगुली हाथ में रहती है और अंगुली छूट गयी तो मेले का आनन्द लुट जाता हैं ऐसे ही, हे नाथ! तभी तक मुझे आनन्द है, जब तक आपकी अंगुली मेरे हाथ हैं यदि यह छूट गई तो, प्रभु! मैं बाराबाट हो जाऊँगां इसीलिये देव, शास्त्र गुरु की अंगुली रूपी श्रद्धा मत छोड़ देनां श्रद्धा में आक्रोश नहीं होता, अशान्ति नहीं होतीं वह श्रद्धा तो ज्ञान व चारित्र की फसल को उत्पन्न करने वाली हैं अतः, अपने जीवन में ऐसी श्रद्धा बनाकर चलें कि मेरी आत्मा भगवती-आत्मा बनें
श्री सिद्ध क्षेत्र गजपंथा जी (नासिक, महाराष्ट्र)
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