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पुरुषार्थ सिद्धि उपाय : आचार्य अमत चंद्र स्वामी पुरुषार्थ देशना : परम पूज्य आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागरजी महाराज
Page 480 of 583 ISBN # 81-7628-131-3 -2010:002 जीवन में असंयम का दीप न जले, संयम का दीप जलें जो हम संयम से बुझे हुए हैं, चारित्र से बुझे हुए हैं, श्रद्धा से बुझे हुए हैं, तो जलते दीपक के नीचे पहुँच जानां लेकिन इतना ध्यान रखना, जलते दीपक के ऊपर बुझे हुए दीपक को मत ले जाना, अन्यथा परिणाम यह होगा कि जो बुझा था वो तो बुझा ही था, किन्तु जो जल रहा था उसको भी बुझा दियां अतः, प्रकाश के लिए दीप जलाना, किसी को जलाने के लिए दीप नहीं जलानां मुमुक्षु जीव जलाने के लिए नहीं, प्रकाश करने के लिए दीप जलाता हैं इसलिए अपने जीवन में बुझे दीपों को जलाने के लिये जले दीप के पास पहुँच जानां यदि निर्माण से निर्वाण प्राप्ति की आकांक्षा हो तो कभी भी जीवन में न चोरी करना, न चोरी की वस्तु खरीदना या बेचना, न राज्य के प्रचलित कानूनों का उल्लंघन करना
श्री जल मंदिर, पावापुरी
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