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पुरुषार्थ सिद्धि उपाय : आचार्य अमत चंद्र स्वामी पुरुषार्थ देशना : परम पूज्य आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागरजी महाराज Page 278 of 583 ISBN # 81-7628-131-3 -2010:002
हैं, अब शुद्धोपयोग में चले गये, परमेश्वर में चले गयें अब एक काम करो, यदि ये जीते रहेंगे तो फिर से संसार में आ जायेंगे, सो इनका सिर काट दो, तो परमेश्वर के पास ही रह जायें तो, मनीषियों ऐसे भी दर्शन थे इस भारत देश में, जिन्होंने अपने कितने ही गुरुओं को भगवान् के पास भेज दियां लेकिन वह भी हिंसा ही हैं ऐसे कोई सिद्धालय में नहीं जाता हैं अपनी परिणति से ही जातां इसीलिये ऐसी हिंसा नहीं करना
भो ज्ञानियो! जिनवाणी कहती है कि जो सामने दिखे, वह सत्य हैं इसलिये ध्यान रखना, पानी के प्यासे हिंसक नहीं होते, वह तो पानी पीकर शांत हो जाते हैं, लेकिन लोभ के वश होकर धन के प्यासे सबसे बड़े हिंसक और कसाई होते हैं धन के प्यासे व्यक्ति शिष्यों को विश्वास दिला देते हैं, देखो, ऐसा करने से मोक्ष मिलता हैं बड़े-बड़े धन के लोलुप व्यक्तियों ने अपने भक्त बना लियें जो आगम विरुद्ध होते हैं, वे बड़े-बड़े को ही पकड़ते हैं अतः, अंधविश्वास नहीं करना, वह बड़ा खतरनाक होता हैं
श्री जैन मंदिर, कुचा पातीराम, सीताराम बाज़ार, दिल्ली
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