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पुरुषार्थ सिद्धि उपाय : आचार्य अमत चंद्र स्वामी पुरुषार्थ देशना : परम पूज्य आचार्य श्री १०८ विशुद्ध सागरजी महाराज Page 173 of 583 ISBN # 81-7628-131-3 -2010:002
हों नारी तो पर्याय को भोग रही है।
हों नारी तो पर्याय को भोग रही है, वेदन कर रही है, पर तुम नारी-पर्याय का बंध कर रहे हों अहो! जीवन में ध्यान रखना, आगे-आगे हिंसा को मत दौड़ाओ, अहिंसा की ओर बढ़ो, परमब्रह्य की ओर बढ़ों
संघीजी का मंदिर, सांगानेर, जयपुर, राजस्थान
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