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गे। सिरी किरसन जी सिमझ गे - यो हे ओ आदमी सै । जीसा इसनैं कऱ्या, ऊसा-ए फल भी इस मिल गया।
गजसुकुमाल मुनी के तप की बात दूर-दूर ताईं मसहूर हो गी । आज हज्जारां साल बीत गे पर आज भी गजसुकुमाल मुनी अर उनकी तिपस्या नैं सरधा ते लोग याद करें सैं । आए साल पज्जुसण के त्योहार पै उनकी कहाणी हर भगत सरधा भरे मन तै जरूर पढ्या/सुण्या करै सै ।
हरियाणवी जैन कथायें/58