________________
: आस्था की ओर बढ़ते कदम पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला। समिति का निर्माण इस तरह से किया गया कि इस में चारों सम्प्रदायों को स्थान मिल सके। इसकी रूप रेखा इस प्रकार तय की गई :१.. प्रधान २. चारों सम्प्रदायों के प्रधानों से ३ प्रधान बनाए गए। ३. चारों सम्प्रदायों के सचिव को प्रधान सचिव नियुक्त किया गया। श्री रविन्द्र जैन कार्यकारिणी और मुझे संस्था का संयोजक होने को अनुमोदित किया गया। ४. सभी लोगों का विचार था कि समय कम है। इस लिए मीटिंगों में समय वर्वाद न कर के सरकारी समिति के गठन के प्रत्यन किए जाएं। ५. यह प्रस्ताव पारित हुआ कि निर्वाण शताब्दी को अहिंसा वर्ष घोषित करवाया जाए। गली, मुहल्लों, बाजारों, संस्थाओं के नाम भगवान महावीर पर रखे जाएं। ६. केन्द्रीय समिति के हर प्रोग्राम में सहयोग किया जाए।
इस समिति के प्रमुख फरीदकोट निवासी स्व.. प्रोफेसर संत कुमार जैन को बनाया गया। श्री संत कुमार जैन जी के पिता श्री कस्तूरी लाल फरीदकोट के प्रधान थे। यह परिवार धर्म निष्ट था। इन्हें हमारी मीटिंग में भण्डारी पद्म जन्द जी म. ने भेजा था। जो हमारे कार्य के जीवन भर अनुमोदक रहे। यह कार्यकारिणी की कदर पहचानते थे। उन्हें वहुमान देते थे। आपके शिष्य श्री अमर मुनि जी म. प्रसिद्ध वक्ता, लेखक व टीकाकार, वहुत सी संस्थाओं के संस्थापक हैं। भण्डारी जी के कार्य को उन्होंने उनके स्वर्गवास के वाद आगे बढ़ाया।
भण्डारी जी बहुत सरलात्मा थे। उनका आशीर्वाद, मीठी बोली ने लोगों को प्रेरणा, अनेको संस्थाओं का निर्माण करवाया। उनके जीवन के प्रमुख अंग थे उन्हीं की कृपा से