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- आस्था की ओर बढ़ते कदम उनके हर कार्यक्रम से हमारा नाम जुड़ गया। यह भेंटों से हमें कुछ करने की प्रेरण मिली। मेरे धर्मभ्राता श्री रविन्द्र जैन ने महावीर सिद्धांत व उपदेश पुस्तक का अनुवाद करना शुरू किया। आचार्य सुशील कुमार जी म० की प्रेरणा से हमें २५०० साला महावीर निर्वाण महोत्सव समिति मनाने की प्रेरणा मिली। हम इस कार्य में जी जान से जुट गये। हालांकि उस समय हमारी आयु वहुत कम थी। समाज को भी नहीं समझा था। लेखन कार्य चलता रहा। जैन आचार्य, अणुव्रत, अणुशास्ता,
युगप्रधान, गणाधिपति श्री तुलसी गणि जी महाराज के प्रथम दर्शन
पिछले अध्ययनों में मैंने तेरापंथ सम्प्रदाय के प्रमुख आचार्य का परिचय देते हुए आचार्य तुलसी का परिचय दिया था। परन्तु १६७३ तक मेरे को उनके दर्शन करने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ था। जो कार्य जव होना होता है वह तब ही होता है यह मेरी मान्यता है। आचार्य श्री तुलसी जिन्हें मैंने गुरू माना था उनके दर्शन १९७३ तक न कर सका। इसका कोई विशेष कारण नहीं था। वैसे मैं कुछ सफर कम ही करता था। पर कुछ संयोग' बना और कुछ मुझे सम्यक्त्व प्रदान करने वाले श्री रावत मुनि, श्री वर्द्धमान मुनि, श्री जय चन्द्र महाराज की सशक्त प्रेरणा धी कि आप गुरुदेव आचार्य श्री तुलसी जी महाराज के दर्शन कीजिए। मेरे लिए यह एक शुभ अवसर था, जब मैं संसार के सव से शक्तिशाली धर्म गुरू से मिल रहा था। मेरे मन में उनके वारे में अथाह श्रद्धा थी। इस यात्रा ने इस श्रद्धा को नया रूप दिया। मुझे कुछ करने का उत्साह वना जिसका परिणाम २५००वां महावीर निर्वाण शताब्दी के रूप में आया।