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आस्था की ओर बढ़ते कदम
ने अपने धन का सदुपयोग करते हुए जैन कला के माध्यम से जैन संस्कृति की अभूतपूर्व प्रभावना की है। हमारे यह मन्दिर श्रद्धा, कला व भक्ति का त्रिवेणी संगम हैं। यह तीर्थ व यहां स्थापित मन्दिर मेरी आस्था का केन्द्र हैं। मैंने प्रभु का नाम सुमिरन करते हुए इन तीर्थों की यात्रा धर्म प्रभावना हेतु की । वह श्रावक धन्य हैं, वह शिल्पी धन्य हैं, वह गुरूदेव धन्य हैं जिनकी प्रेरणा व परिश्रम से इस तीर्थ में मन्दिरों का कलात्मक निर्माण हुआ । मैंने यहां मन्दिरों में पूजा अर्चना की।
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अचलगढ़ तीर्थ की यात्रा
तीर्थ दर्शन :
यह तीर्थ माउंट आबू से लगभग ११ किलोमीटर की दूरी पर अचलगढ़ स्थान पर है। यह दुर्ग व इतिहासक स्थान है । इस तीर्थ पर जाने के लिए हमें आवू के श्री वर्धमान महावीर केन्द्र से रास्ता जाता है। यह तीर्थ हिन्दुओं व जैनों का पवित्र स्थान है । देलवाडा से भी यहां के लिए जाया जाता है। अचलगढ़ का किला ४००० फुट की उंचाई पर स्थित है। यहां का चौमुखी का मन्दिर प्रसिद्ध है । दो मंजिलों के इस मन्दिर में चार-चार बड़ी और भव्य प्रतिमा है । इन प्रतिमाओं की संख्या १४ है । यह पांच धातु की हैं।
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इन प्रतिमाओं का वजन १४४४ मन है। मुख्य मन्दिर में जैन तीर्थंकरों के जीवन चारित्र व कुछ जैन तीर्थों का चित्र उतकीर्ण किये गए हैं। इसके पास प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव जी की, श्री कुंथु नाथ जी, श्री पार्श्व नाथ जी, श्री शांतिनाथ जी की प्रतिमाएं हैं। साथ में गुरू समाधि मन्दिर है । प्रसिद्ध चमत्कारी योगीराज श्री शांति विजय ने यहां तपस्या की थी । इस कारण यह स्थान पूज्नीय वन गया है। यहां का अचलेश्वर महादेव का मन्दिर हिन्दु धर्म
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